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Saturday 19 Apr 2025 22:14 PM

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17 साल बाद आएगा फैसला:उमेश पाल अपहरण मामले में, अतीक-अशरफ पर भी धारा 364ए लगाई गई; इसमें मृत्युपर्यन्त दस वर्ष तक कारावास का प्रावधान है!



प्रयागराज की एमपी एमएलए कोर्ट उमेश पाल अपहरण मामले में फैसला सुनाएगी. दोनों को मौत की अधिकतम सजा का सामना करना पड़ता है।


28 फरवरी 2006 को हुए उमेश पाल के अपहरण मामले में गैंगस्टर अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के खिलाफ प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगी. इस मामले में दोनों पर एक धारा 364ए भी है. इस धारा में दस साल कैद से लेकर मौत तक की सजा का भी प्रावधान है।


उमेश पाल की पिछले महीने हत्या कर दी गई थी, जिसका आरोप अपहरण के आरोपी अतीक अहमद और उसके भाई पर भी है. सोमवार शाम तक आरोपी माफिया अतीक अहमद को अहमदाबाद की साबरमती जेल से और उसके भाई अशरफ को बरेली जेल से प्रयागराज लाया गया है.


दोनों को नैनी सेंट्रल जेल के हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया है। फैसले के समय दोनों कोर्ट में मौजूद रहेंगे। इसलिए कोर्ट में भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं।

उमेश पाल और अतीक अहमद का झगड़ा 18 साल पुराना था।


मौत की सजा कैसे हो सकती है?


माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को सजा दिलाने के लिए उमेश पाल ने 17 साल लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। फैसले से महज 31 दिन पहले 28 मार्च को उमेश पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उमेश पाल अपहरण का यह मामला सुनकर घर लौट रहा था।


दिनदहाड़े घर के पास हुई इस सनसनीखेज हत्याकांड में अतीक अहमद के पूरे परिवार का नाम है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के सुविज्ञ  अधिवक्ता  ने कहा कि अपहरणकर्ताओं पर हत्या का भी आरोप लगाया गया है, ऐसे में अगर दोष सिद्ध हो जाता है तो धारा 364ए में 10 साल कैद से लेकर मौत की सजा का प्रावधान है.


वह कठोर कारावास से, जिसकी अवधि 10 वर्ष से कम नहीं होगी, या मृत्यु दण्ड से दण्डनीय होगा। मुकदमे के दौरान गवाह व वादी उमेश पाल की हत्या भी अधिकतम सजा का कारण बन सकती है। इस मामले में जिंदा रहते हुए उमेश पाल ने अपनी गवाही पूरी की थी.

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