ट्रेन में जज को समय नाश्ता नहीं मिला तो भेजा नोटिस: पेंट्री कार और GRP से कोई नहीं आया; दिल्ली से जा रहे थे प्रयागराज, 3 घंटे लेट थी ट्रेन!
पुरूषोत्तम एक्सप्रेस ट्रेन में 'असुविधा' को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज ने रेलवे अधिकारियों पर नाराजगी जताई है. उन्होंने उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक को पत्र भेजकर पूरी घटना के बारे में बताया है. साथ ही दोषी अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगने का भी आदेश दिया.
दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस गौतम चौधरी अपनी पत्नी के साथ पुरूषोत्तम एक्सप्रेस से दिल्ली से प्रयागराज की यात्रा कर रहे थे. ट्रेन 3 घंटे लेट थी. ऐसे में जज और उनकी पत्नी को नाश्ता नहीं मिला. जज ने पेंट्री कार मैनेजर को फोन किया, लेकिन कॉल का जवाब नहीं दिया गया।जज के संदेश भेजने के बाद भी पेंट्री कार से कोई स्टाफ नहीं आया. न ही कोई जीआरपी जवान आया। इसके बाद उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक को संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगने और एक रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया है।
टीटीई से बार-बार कहने के बाद भी जीआरपी से कोई नहीं आया
मामला 8 जुलाई 2023 का है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस गौतम चौधरी अपनी पत्नी के साथ पुरूषोत्तम एक्सप्रेस के एसी फर्स्ट क्लास से नई दिल्ली से प्रयागराज के लिए निकले थे। ट्रेन 3 घंटे से ज्यादा लेट होने के बावजूद जज और उनकी पत्नी को नाश्ता तक नहीं मिला. जज ने पेंट्री कार मैनेजर राजीव त्रिपाठी को बुलाया. जज ने कई बार टीटीई से कहा कि जीआरपी का सिपाही भेजो. इसके बाद भी कोई जीआरपी जवान वहां नहीं गया।
आदेश महाप्रबंधक तक पहुंचा
इस संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार प्रोटोकॉल आशीष कुमार श्रीवास्तव ने उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक को पत्र भेजा है. इसमें आदेश दिया गया है कि वह जिम्मेदार रेलवे अधिकारियों, जीआरपी अधिकारियों और पेंट्री कार संचालक से स्पष्टीकरण मांगें. यह भी बताएं कि मामले में अब तक क्या कार्रवाई हुई है. आईआरसीटीसी की कैटरिंग पॉलिसी में कहा गया है कि अगर ट्रेन 2 घंटे या उससे ज्यादा लेट होती है तो यात्रियों को नाश्ता और हल्का भोजन मुफ्त दिया जाएगा।
कौन हैं जस्टिस गौतम चौधरी?
जस्टिस गौतम चौधरी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए, एलएलबी किया है। 1993 में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश में एक वकील के रूप में नामांकित हुए। कई वर्षों तक सिविल, श्रम कानून, संवैधानिक, राजस्व और सेवा मामलों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अभ्यास किया। 26 मार्च 2021 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए।
अपने 3 साल के कार्यकाल के दौरान जस्टिस गौतम चौधरी ने हिंदी भाषा में 10,000 से अधिक फैसले सुनाए हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपनी नियुक्ति के 8 दिन बाद 20 दिसंबर 2019 को जब जस्टिस गौतम चौधरी एकल पीठ में बैठे तो उन्होंने अपना पहला फैसला हिंदी में दिया। इसके बाद यह क्रम चलता रहा और एक के बाद एक फैसले हिंदी में दिए गए।
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