इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 3000 रिक्त पदों को भरने का दिया आदेश; सेवानिवृत्त कर्मचारियों को मिला मौका ,आयु 65 वर्ष से अधिक न हो!
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- Updated: 21 October, 2022 15:01
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इलाहाबाद
उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश
के सभी जिला न्यायालयों
में सेवानिवृत्त कर्मचारियों से तृतीय और
चतुर्थ श्रेणी के लगभग 3000 रिक्त
पदों को भरने का
आदेश दिया है। केवल
शर्त यह है कि
उनकी आयु 65 वर्ष से अधिक
न हो और वे
शारीरिक रूप से अक्षम
न हों। इस घोषणा
के बाद नौकरी की
तलाश कर रहे बेरोजगार
युवाओं में आक्रोश है।
सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ
आवाजें उठने लगी हैं।
जिला
न्यायालयों में रिक्त पदों को भरने के संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का आदेश जारी।
सभी
अधीनस्थ न्यायालयों को भेजा गया पत्र
इलाहाबाद
उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल
आशीष गर्ग द्वारा जारी
आदेश में कहा गया
है कि यदि जिला
न्यायालयों में कर्मचारियों की
कमी है तो जिला
न्यायाधीश सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अपने स्तर
पर फिर से नियुक्त
कर सकते हैं. इस
पत्र में जिला न्यायाधीशों
से सेवानिवृत्त 65 वर्ष से कम
आयु के कर्मचारियों को
रोजगार के लिए कहा
गया है. इलाहाबाद उच्च
न्यायालय की आधिकारिक वेबसाइट
पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार अधीनस्थ
न्यायालयों में तृतीय श्रेणी
के लगभग 1500 और चतुर्थ श्रेणी
के डेढ़ हजार पद
भी रिक्त हैं।
3 बार
हो चुकी है भर्ती परीक्षा, फिर भी आधे पद खाली
पूर्व
में अधीनस्थ न्यायालयों में भर्तियां जिला
न्यायाधीश स्तर पर ही
होती रही हैं। बाद
में वर्ष 2014 से ये भर्तियां
इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा
संयुक्त परीक्षा के माध्यम से
की जाती हैं। 2014 से
अब तक तीन बार
भर्ती परीक्षा आयोजित की जा चुकी
है लेकिन अभी भी अधीनस्थ
न्यायालयों में कर्मचारियों के
लगभग आधे पद खाली
हैं। अधीनस्थ न्यायालयों में कार्य चल
रहा है जबकि शेष
आधे पद रिक्त हैं।
इससे कम स्टाफ के
साथ काम करने वाली
अदालतों में काम का
बोझ बढ़ता जा रहा है।
प्रत्येक कर्मचारी के पास औसतन
3 से 4 हजार फाइलों का
भार होता है। यही
कारण है कि कई
कर्मचारी दफ्तरों में बाहरी लोगों
से भी काम करवा
रहे हैं। ऐसे बाहरी
लोगों को नियमित जांच
पर पकड़ा जाता है। लेकिन
सच्चाई को कोई नकार
नहीं सकता।
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