इलाहाबाद HC में मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज, ASI सर्वे को मंजूरी; जानें अब तक क्या-क्या हुआ:ज्ञानवापी मामला!
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- Updated: 4 August, 2023 12:44
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ज्ञानवापी केस अपडेट वाराणसी स्थित ज्ञानवापी काउंसिल में भारतीय वैज्ञानिक सर्वे (अध्ययन) से साइंटिफिक सर्वे एसोसिएट जेन एसोसिएटेड वाराणसी जिला जज के जज को चुनौती देने वाली अंजुमन इंतेजामिया मैसिड की याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। यह मुख्य निर्णय श्रीकांत प्रीतिंदर दिवाकर ने कहा।
ज्ञानवापी मामला: इलाहाबाद HC में मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज, ASI सर्वे को मंजूरी
वाराणसी स्थित ज्ञानवापी काउंसिल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (अग्रणी) से साइंटिफिक सर्वे वैज्ञानिकों ने एसोसिएटेड डिस्ट्रिक्ट जज के फैसले को चुनौती देने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद की याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। है.यह मुख्य निर्णय श्रीकांत प्रीतिंदर दिवाकर ने कहा। कोर्ट ने कहा- न्याय हित में सर्वेक्षण लागू है।
जानिए कि ज्ञानवापी प्रकरण मामले में अब तक क्या-क्या हुआ ?
वाराणसी के जिला जज ने 21 जुलाई को ज्ञानवापी परिसर में वजूखाना और लिपि को छोड़कर अन्य क्षेत्रों के एक दृढ़ सर्वेक्षण का निर्देश दिया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई को एक डेमोक्रेट सर्वे पर 26 जुलाई तक रोके गए इलाहाबाद हाई कोर्ट की राय दी थी।
तीन दिन में सात घंटे चली सुनवाई
मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इलिनोइस हाई कोर्ट में इस मामले में जमानत याचिका दायर की। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में तीन दिन 25, 26 और 27 तारीख को सुनवाई हुई थी। उच्च न्यायालय में तीन दिनों में लगभग सात घंटे की सुनवाई हुई। मस्जिद पक्ष ने कहा था कि सर्वे से नुकसान पहुंच सकता है लेकिन एक सर्वेक्षक की ओर से कहा गया कि ऐसा कुछ नहीं होगा।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंदर दिवाकर ने पूछा था एएसआई की लीगल आइडेंटिटी क्या है? एएसआई अधिकारी ने मा0 न्यायालय को जवाब देते हुए बताया कि 1871 में एएसआई गठित हुआ मॉनुमेंट संरक्षण के लिए। यह मॉनीटर करती है पुरातत्व अवशेष का। एएसआई अधिकारी ने हाई कोर्ट में कहा था- 'हम डगिंग नहीं करने जा रहे।''
हाई कोर्ट ने कहा- आपके पास दर्शन करने का अधिकार है
उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान वादिनी (राखी सिंह व अन्य) के वकील सौरभ तिवारी ने कहा कि फोटोग्राफ हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि मंदिर है। उच्च न्यायालय ने फैसले में कहा कि पंथियों को गौरी, हनुमान, गणेश की पूजा दर्शन का विधिक अधिकार है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा- आपकी बहस अलग लाइन में जा रही है। हम यहां एविडेंस नहीं तय कर रहे हैं। इस बात पर सुनवाई हो रही है कि सर्वे होना चाहिए या नहीं और सर्वे क्यों जरूरी है? 26 जुलाई को ज्ञानवापी प्रकरण में दो चरणों में सुनवाई हुई थी, इस दौरान एक बार मुख्य न्यायाधीश ने मस्जिद पक्ष के विध्वंसक से कहा, जब आप किसी पर भरोसा नहीं करते, तो फैसले पर कैसे भरोसा करेंगे?
एक अगस्त को सर्वे के खर्च पर अंजुमन इंतेजामिया मसिड ने सवाल उठाया। उन्होंने कहा- मंदिर पक्ष की ओर से सर्वेक्षण के लिए कोई शुल्क जमा नहीं किया गया है। इस बात की जानकारी जिला जज की अदालत की ओर से दी गई है। वादी पक्ष यह खर्च नहीं दे रहा तो क्या सरकार इसे वहन कर रही है। इसका अर्थ हुआ सरकारी मस्जिद-मंदिर में दोष कर रही है।
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