एस जयशंकर ने पूछा सवाल , 1992 तक इजराइल में कोई भारतीय राजदूत और दूतावास क्यों नहीं था?
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- Updated: 24 April, 2024 07:54
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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार (23 अप्रैल) को इजराइल में 1992 तक कोई राजदूत और दूतावास नहीं होने पर सवाल उठाए. एस जयशंकर ने कहा कि 1992 तक यहूदी देश इजराइल में भारत का कोई राजदूत और दूतावास क्यों नहीं था? जयशंकर ने हैदराबाद में आयोजित फॉरेन पॉलिसी द इंडिया वे: फ्रॉम डिस्ट्रस्ट टू कॉन्फिडेंस में बोलते हुए यह बात कही.
एस जयशंकर ने कहा कि इजराइल जैसे देश के बारे में सोचिए, लोग आज कहते हैं कि सब एक जैसे हैं और हमें धर्म को चर्चा में नहीं लाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इजराइल 1948 में आजाद हुआ था. 1948 से 1992 तक हमने (भारत ने) इजराइल में भारतीय राजदूत और दूतावास नहीं रखने का फैसला किया. क्यों? 1992 से हमारा दूतावास था। 1992 से 2017 तक, जब प्रधान मंत्री मोदी इज़राइल गए थे, भारत का कोई भी प्रधान मंत्री वहां नहीं गया था।
कब मान्यता दी? भारत ने इजराइल को !
विदेश मंत्री ने कहा, ''इस बारे में सोचें और फिर मुझे बताएं कि भरोसे का हमारी नीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.'' यह क्या है? क्या ये वोट बैंक नहीं है? भारत ने आधिकारिक तौर पर 1950 में इज़राइल को मान्यता दी, लेकिन दोनों देशों ने 29 जनवरी 1992 को राजनयिक संबंध स्थापित किए।
इजराइल-हमास युद्ध पर चिंता जताई गई
दरअसल, जयशंकर ने पिछले महीने इजराइल-हमास युद्ध में नागरिकों की मौत पर चिंता जताई थी. उन्होंने कहा कि 7 अक्टूबर को जो हुआ वह आतंकवाद था. वहीं दूसरी ओर किसी भी निर्दोष नागरिक की मौत को स्वीकार नहीं किया जा सकता. दोनों देश अपनी-अपनी स्थिति में उचित हो सकते हैं, लेकिन आपके पास इसका उत्तर नहीं हो सकता कि प्रत्येक प्रतिक्रिया को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून को ध्यान में रखना चाहिए
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