इलाहाबाद हाईकोर्ट नाराज: कहा-मुजफ्फनगर बार एसोसिएशन रजिस्टर्ड सोसाइटी से अधिक नहीं, न्यायिक कार्य में बाधा उत्पन्न न करने का आदेश
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- Updated: 15 June, 2022 11:24
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार एसोसिएशन मुजफ्फनगर के न्यायिक कार्य से विरत रहने पर कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि बार एसोसिएशन पंजीकृत सोसायटी से अधिक नहीं है और वह अपने सदस्यों के लिए कामकाज करती है। उससे यह अपेक्षा नहीं की जा सकती है कि वह अदालतों के न्यायिक कामकाज में बाधा उत्पन्न करे। यह आदेश जस्टिस जेजे मुनीर ने रजनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
ट्रायल कोर्ट के आदेश को सही ठहराया, याचिका खारिज
मामले में याची ने सत्र न्यायालय के फैसले को चुनौती थी। सत्र न्यायालय ने याची की उपस्थिति कोर्ट में न होने पर याचिका को खारिज कर दिया था। याची ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल की। तर्क दिया कि सुनवाई के दौरान बार एसोसिएशन का चुनाव चल रहा था। अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत थे। इस वजह से कोर्ट के समक्ष याची पक्ष की ओर से कोई उपस्थित नहीं हो सका। हाईकोर्ट ने कहा कि यह कल्पना से परे है कि अदालत का काम ठप हो जाएगा। कोर्ट ने कहा कि बार एसोसिएशन पंजीकृत सोसायटी है। वह अपने साथियों के लिए काम करती है। उसका यह कार्य नहीं है कि न्यायालय के कार्यों में बाधा उत्पन्न किया जाए। कोर्ट ने मामले में ट्रायल कोर्ट के आदेश को सही ठहराया और याचिका को खारिज कर दिया।
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