इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला, नाबालिग पुरुष और महिला को लिव-इन रिलेशनशिप में कोई संरक्षण नहीं!
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- Updated: 2 August, 2023 22:23
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि अगर पुरुष और महिला के बीच कोई नाबालिग है तो लिव-इन रिलेशनशिप वैध नहीं है। ऐसे में सुरक्षा नहीं दी जा सकती. अगर सुरक्षा दी गई तो यह कानून और समाज के खिलाफ होगा. कोर्ट ने कहा कि केवल दो वयस्क जोड़े ही लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं।
लिव इन रिलेशनशिप में किसी भी नाबालिग को नहीं मिलेगी सुरक्षा, इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला
प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि अगर पुरुष और महिला के बीच कोई नाबालिग है तो लिव-इन रिलेशनशिप वैध नहीं है. ऐसे में सुरक्षा नहीं दी जा सकती. अगर सुरक्षा दी गई तो यह कानून और समाज के खिलाफ होगा.
कोर्ट ने कहा कि केवल दो वयस्क जोड़े ही लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं। बाल संरक्षण अधिनियम के तहत नाबालिग के साथ 'लिव इन' अपराध है। चाहे पुरुष हो या महिला. कोर्ट ने कहा कि क्या नाबालिग पुरुष द्वारा वयस्क महिला के अपहरण का आरोप अपराध है या नहीं? इस पर चर्चा से निर्णय लिया जायेगा. सिर्फ लिव-इन में रहने से राहत नहीं मिल सकती.
न्यायालय ने याचिका कर दी खारिज
यह अनुच्छेद 226 के तहत हस्तक्षेप के लिए उपयुक्त मामला नहीं है। अदालत ने याचिका खारिज कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति वीके बिड़ला तथा न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने सलोनी यादव व अली अब्बास की याचिका पर दिया है.
याचिकाकर्ता का कहना था कि वह 19 साल की है. वह अपनी मर्जी से घर छोड़कर गई है। अली अब्बास के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह रही हैं। इसलिए अपहरण का मामला रद्द कर याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी रोकी जाए. कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता के नाबालिग होने के कारण राहत देने से इनकार कर दिया. कहा कि अनुमति दी गई तो अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। कानून के विरुद्ध यौन संबंध बनाना पाक्सो एक्ट के तहत अपराध होगा। कौशांबी के पिपरी थाने में अपहरण का मामला दर्ज किया गया है.
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