साइकिल से हरियाली बांटते हैं प्रो. ‘हरियाली गुरु’:विश्व पर्यावरण दिवस पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एनबी सिंह का इंटरव्यू, एक लाख पौधे लगा चुके हैं
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- Updated: 6 June, 2022 13:50
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इलाहाबाद विश्वविद्यालय के आसपास साइकिल की टोकरी में कुछ पौधे लेकर छात्र-छात्राओं से बातचीत करने वाला सख्श कोई और नहीं, यही हैं हरियाली गुरु। वनस्पति विभाग के प्रोफेसर एनबी सिंह कोई लग्जरी कार नहीं बल्कि एक साधारण साइकिल से चलते हैं और जहां कुछ छात्र दिख गए वहीं इनके साइकिल के पहिए थम जाते हैं। उन्हें पौधे थमाते हैं और यह कहते हुए अपना मोबाइल नंबर भी देते हैं कि पौधे को लगाने के बाद फोटो भी वाट्सएप करना। उनके इस अद्भुत कार्यों के चलते शिक्षक और छात्र-छात्राएं उन्हें प्रोफेसर एनबी सिंह नहीं बल्कि प्रो. हरियाली गुरु के नाम से जानने लगे हैं। आज 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर दैनिक भास्कर ने उनसे खास बातचीत की।
पक्षियों के लिए बांटते हैं मुफ्त घोसला
हरियाली गुरु साइकिल पर्यावरण संरक्षण के लिए जहां पौधारोपण करते हैं वहीं पक्षियों को बचाने के लिए मुहिम चला रहे हैं। साइकिल की टोकरी में अक्सर लकड़ी से बने घोसले लेकर वह विश्वविद्यालय पहुंच जाते हैं और छात्रों को मुफ्त में बांटते हैं। पौधे और घोसले तो देते हैं लेकिन शर्त यह होती है कि लगाने के बाद उसकी फोटो वाट्सएप पर चाहिए। प्रोफेसर हरियाली गुरु मूलत: UP के सुल्तानपुर जनपद के बिकना गांव निवासी हैं।
नहीं है गाड़ी, पूरा परिवार करता है साइकिल की सवारी
प्रो. एनबी सिंह बताते हैं पेट्रोल और डीजल से हमारा पर्यावरण भी प्रदूषित होता है। ऐसे में उन्होंने आज तक न तो कोई कार खरीदी है और न ही बाइक। तीनों बेटियां (दीप्ति, ज्योति और आभा) भी साइकिल से ही विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने जाती थीं और बेटा शिवम भी साइकिल से पढ़ाई करने जाता है। प्रो. सिंह जब साइकिल से अपने पूरे रौ में विश्वविद्यालय में प्रवेश करते हैं तो छात्र-छात्राएं ही नहीं बल्कि स्टाफ के लोग भी सम्मान से नमस्कार करते हैं।
सांप और अजगर पकड़ने में माहिर
शहर में कहीं भी सांप या अजगर दिखने की सूचना मिली तो बिना किसी देरी के प्रो. हरियाली गुरु उसे पकड़ने पहुंच जाते हैं। इस विधा में वह पूरी तरह से माहिर हैं। पिछले कुछ दिनों पहले पत्नी की तबीयत खराब थी। इसी बीच किसी ने कॉल करके बताया कि अजगर निकला है। वह पत्नी को डाक्टर के पास छोड़ सीधे अजगर को पकड़ने पहुंच गए।
घर में ही तैयार कर दी दुर्लभ पौधों की बागवानी
इन्होंने अपने घर के पीछे ही दुर्लभ पौधों की बागवानी तैयार कर दी है। परिजात के भी पौधे इनके पास उपलब्ध हैं। सुबह और शाम को इनके घर पर छात्र पौधा लेने के लिए आते हैं। घर पर सगे संबंधियों के आने पर उन्हें विदाई में पौधे ही देते हैं।
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