हिट एंड रन कानून के विरोध का व्यापक असर, आठ जिलों में सिलेंडर सप्लाई ठप डीज़ल पेट्रोल की आपूर्ति हुई बाधित ...तो वहीं रीजनल मैनेजर ने रोडवेज के ड्राइवरों का किया भ्र्म दूर !
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- Updated: 3 January, 2024 11:58
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प्रयागराज. हिट एंड रन कानून के विरोध में ड्राइवरों की हड़ताल का हर जगह असर दिखने लगा मंगलवार को दूसरे दिन भी पेट्रोल पंपों पर वाहनों की कतार लगी रही।
केंद्र सरकार द्वारा एमवी एक्ट के नियमों में बदलाव को लेकर देशव्यापी हड़ताल में निजी ट्रांसपोर्टर भी शामिल हो गये हैं. सोमवार से शुरू हुई हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रही। वहीं दूसरी ओर आज सुबह रोडवेज की बसों के परिचालन को लेकर जनता संदिग्ध थी तो रीजनल मैनेजर ने आकर बसों के परिचालन को लेकर संदेह को दूर किया खुद अपने खड़े होकर बस ड्राइवरों का संदेह दूर कर बस चलवाया !
डीजल व पेट्रोल टैंकर खड़े रहे हड़ताल के कारण
ड्राइवरों की हड़ताल का असर यह हुआ कि सोमवार देर शाम से इंडियन ऑयल से भरे टैंकरों के पहिये थम गये. प्रतिदिन करीब 200 टैंकरों से डीजल व पेट्रोल की आपूर्ति होती है, लेकिन हड़ताल के कारण टैंकर खड़े रहे. इसका असर भी देखने को मिला.
लोगों ने बहस भी की
पेट्रोल-डीजल खरीदने के लिए दोपहर एक बजे से पंपों पर इतनी भीड़ उमड़ी कि लोग धक्का-मुक्की करने लगे. वाहन में पहले तेल भरवाने को लेकर बाई का बाग, मानसरोवर, बिजली घर और सिविल लाइंस स्थित पेट्रोल पंप कर्मियों से कुछ लोगों की बहस भी हुई।
शाम होते-होते स्थिति यह हो गई कि पेट्रोल पंप के बाहर सड़क तक वाहनों की कतार लग गई। इससे यातायात बाधित होने लगा। मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मियों ने किसी तरह लोगों को वाहनों की कतार में खड़ा कराया।
सप्लाई बंद गैस सिलेंडर की
उधर, झूंसी के त्रिवेणीपुरम स्थित इंडियन ऑयल बॉटलिंग प्लांट से जुड़े टैंकर और ट्रक चालकों की हड़ताल के कारण प्रयागराज समेत गोरखपुर, आजमगढ़, सोनभद्र, प्रतापगढ़, जौनपुर, भदोही समेत कई जिलों में गैस सिलेंडर की सप्लाई पूरी तरह ठप हो गई है। दो दिन कौशांबी प्लांट से प्रतिदिन करीब चार सौ ट्रक विभिन्न जिलों में जाते हैं.
इसके अलावा नागपुर और कोलकाता से आने वाले टैंकर भी बॉटलिंग प्लांट तक नहीं पहुंचे. इससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के साथ ही महाराष्ट्र, नासिक, छत्तीसगढ़, एमपी, अमरावती, उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों से सब्जियां और फल लाने वाले ट्रकों की आवाजाही भी काफी कम हो गई है।
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