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Saturday 12 Apr 2025 6:58 AM

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हाईकोर्ट का यूपी सरकार से कड़ा सवाल:सरकारी वकीलों की फौज होने के बाद भी क्यों हायर किए जा रहे अधिवक्ता

इलाहाबाद हाईकोर्ट यूपी सरकार से सख्त नाराजगी जताई है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि आपके पास 12 अपर महाधिवक्ता और 18 मुख्य स्थायी अधिवक्ता सहित वकीलों की बड़ी फौज है। इसके बावजूद विकास प्राधिकरणों, नगर निगमों और अन्य कारपोरेशन को अलग से वकील क्यों रखने पड़ रहे हैं।

कोर्ट ने कहा कि कुछ अपर महाधिवक्ता और मुख्य स्थायी अधिवक्ता सरकार के साथ प्राधिकरणों, निगमों की तरफ से बहस कर दोनों पक्षों से फीस ले रहे हैं। सरकार के महत्वपूर्ण मामलों में सरकार की तरफ से कोई नहीं खड़ा होता। एक वकील दोहरी फीस कैसे ले सकता है। जिस सरकारी वकील ने दोहरी फीस ली है, उससे वसूल की जानी चाहिए। आखिर पैसा टैक्स पेयर का ही खर्च होता है। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने ईशान इंटरनेशनल एजुकेशनल सोसायटी के डायरेक्टर की अवमानना याचिका खारिज करते हुए दिया है।

कोर्ट ने मुख्य सचिव को दिया सख्त निर्देश

कोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि सरकारी वकीलों की कार्यप्रणाली में बेहतरी के लिए ड्राफ्ट तैयार कर कार्रवाई के लिए कैबिनेट में पेश करें। कोर्ट ने मुख्य सचिव से कहा कि वह कैबिनेट के संज्ञान में लाएं कि 12 अपर महाधिवक्ता और 18 मुख्य स्थायी अधिवक्ताओं की जरूरत ही क्या है। जबकि सरकार का बचाव करने के लिए राज्य विधि अधिकारियों की बड़ी टीम मौजूद है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को दो महीने में महानिबंधक को प्रगति रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है।

प्रमुख सचिव और GDA अफसरों के खिलाफ थी याचिका

ईशान इंटरनेशनल एजुकेशनल सोसायटी ने प्रमुख सचिव मुकुल सिंहल और GDA (गाजियाबाद विकास प्राधिकरण) सहित कई अधिकारियों के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने मार्केट दर से भूमि अधिग्रहण मुआवजे का अवार्ड घोषित करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट तक मुकदमेबाजी में उलझे होने के कारण आदेश पालन में देरी की गई। मगर, कोर्ट ने कहा कि आदेश की अवहेलना की मंशा को देखते हुए कार्रवाई की जाती है। इस मामले में जान-बूझकर कर अवमानना का केस नहीं पाया गया।

कोर्ट ने विशेष सचिव द्वारा दो वरिष्ठ अधिवक्ताओं को विधिक अधिकार न होने के बावजूद अवमानना केस की नोटिस लेने का अधिकार देने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उसने कहा कि विशेष सचिव ने 21 फरवरी, 2022 के पत्र से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी और कुलदीप पति त्रिपाठी क्रमशः प्रयागराज और लखनऊ को अवमानना मामले की नोटिस लेने के लिए अधिकृत किया। साथ ही राज्य विधि अधिकारियों से सहयोग लेने की छूट दी।


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