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Saturday 19 Apr 2025 17:45 PM

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पीसीएस 2021 की कट ऑफ जारी: 22 नवंबर तक आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध रहेगी!






आयोग ने सभी अनिवार्य और वैकल्पिक विषयों/प्रश्नपत्रों के अंक और साक्षात्कार के अंक और उनका योग जारी किया है।


उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने पीसीएस 2021 की कटऑफ जारी कर दी है। उम्मीदवार आयोग की वेबसाइट पर लॉग इन कर पोस्ट वाइज और कैटेगरी वाइज कटऑफ देख सकते हैं। यह आयोग की वेबसाइट पर 22 नवंबर तक उपलब्ध रहेगा। इसके बाद इसे हटा दिया जाएगा।


आयोग ने सभी अनिवार्य और वैकल्पिक विषयों/प्रश्नपत्रों के अंक और साक्षात्कार के अंक और उनका योग जारी किया है। यही नहीं, अंतिम रूप से चयनित उम्मीदवारों के पदवार और श्रेणीवार कटऑफ अंक आयोग की वेबसाइट पर जारी कर दिए गए हैं। आयोग के सचिव का कहना है कि अब सूचना के अधिकार के तहत किसी भी अभ्यर्थी को कोई जवाब नहीं दिया जाएगा.


678 पदों के विरुद्ध केवल 627 उम्मीदवारों का चयन किया गया था।


पीसीएस-2021 की मुख्य परीक्षा का परिणाम 12 जुलाई 2022 को घोषित किया गया। मुख्य परीक्षा में 1285 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया। इन उम्मीदवारों का आयोग ने 21 जुलाई 2022 से 6 अगस्त 2022 तक साक्षात्कार लिया था। इसमें एसडीएम, डिप्टी एसपी समेत विभिन्न प्रकार के 29 पद हैं। आयोग ने 678 पदों पर विज्ञापन दिया था, लेकिन कुल 627 पदों पर ही उम्मीदवारों का चयन किया गया है। शेष 51 पद पात्र अभ्यर्थी नहीं मिलने के कारण रिक्त रह गए थे।


इलाहाबाद हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट रद्द कर दिया था


एकल पीठ ने पूर्व सैनिकों को 5 फीसदी क्षैतिज आरक्षण नहीं देने पर प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम रद्द कर दिया था. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को पूर्व सैनिकों को 5% आरक्षण देते हुए प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया। जब यह आदेश आया तो उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने मुख्य परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों का साक्षात्कार पहले ही कर लिया था।


फाइनल रिजल्ट घोषित करने की तैयारी चल रही थी। इस बीच एकलपीठ के फैसले से पीसीएस-2021 का फाइनल रिजल्ट रोक दिया गया। इससे प्रत्याशियों में काफी मायूसी छा गई। बाद में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने विशेष अपील के तहत उच्च न्यायालय की एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी थी।


जवानों को आरक्षण देने की अधिसूचना बाद में जारी हुई


इलाहाबाद उच्च न्यायालय में यूपी लोक सेवा आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश पांडे ने तर्क दिया था कि आरक्षण का दावा नहीं किया जा सकता क्योंकि पूर्व सैनिकों को आरक्षण देने की अधिसूचना आवेदन की तारीख के बाद जारी की गई थी। इसके जवाब में प्रतिवादी के अधिवक्ता एन त्रिपाठी की ओर से कहा गया कि 10 मार्च को जारी अधिसूचना अधिनियम का संशोधन है न कि नया अधिनियम।


उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने शारीरिक रूप से विकलांग, स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों और भूतपूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण अधिनियम 1993 में संशोधन कर ग्रुप-बी को आरक्षण की श्रेणी से बाहर कर दिया। सरकार के इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट के आदेश में 10 मार्च 2021 को ग्रुप-बी श्रेणी की भर्ती में पूर्व सैनिकों को आरक्षण देने की व्यवस्था करते हुए सूचना जारी की गई थी. यह अधिसूचना जारी होने के दिन से लागू हो गई है। बेंच ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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