सवाल उठता है कि हाथरस में 100 से ज्यादा मौतों का जिम्मेदार कौन? सत्संग में भगदड़ के बाद उठे सवाल!
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराराऊ में आयोजित सत्संग में मंगलवार (2 जुलाई) को भगदड़ मच गई। इस दुखद हादसे में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हैं। एटा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार सिंह के मुताबिक, घटना पुलराई गांव में चल रहे सत्संग में हुई, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होने आए थे। सवाल उठता है कि इतने बड़े आयोजन में व्यवस्था में कितनी ढिलाई थी कि इतना बड़ा हादसा हो गया और इसके लिए कौन जिम्मेदार है।
डीएम आशीष कुमार ने बताया कि सत्संग की अनुमति एसडीएम ने दी थी। ऐसे में सवाल उठता है कि उन्होंने सत्संग स्थल पर भीड़ का अंदाजा क्यों नहीं लगाया। एंट्री-एग्जिट प्वाइंट क्यों नहीं देखा गया।
सत्संग का आयोजन बाबा नारायण साकार हरि उर्फ साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा ने किया था। डीएम ने बताया कि वहां कानून व्यवस्था के लिए ड्यूटी लगाई गई थी। अंदर की व्यवस्थाएं उन्हें (बाबा को) खुद करनी थी। यह घटना कैसे हुई, इसकी जांच के लिए कमेटी गठित की गई है।
कोई व्यवस्था नहीं थी भीषण गर्मी से निपटने के लिए
सवाल उठता है कि जब प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी के बावजूद इतनी भीड़ जुटी तो कार्यक्रम क्यों नहीं रोका गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कार्यक्रम स्थल पर भीषण गर्मी थी, उमस से लोग बेचैन हो गए थे। डीएम ने भी इसकी पुष्टि की है।
ऐसे में गर्मी के मौसम में श्रद्धालुओं के लिए उचित व्यवस्था क्यों नहीं की गई। प्रशासन ने व्यवस्थाओं पर नजर क्यों नहीं रखी? प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि सत्संग स्थल की जमीन भी ऊबड़-खाबड़ थी। सवाल उठता है कि सैकड़ों भक्तों वाले बाबा ने कार्यक्रम स्थल पर उचित व्यवस्था क्यों नहीं की।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि भगदड़ बाबा के कार्यक्रम समाप्त होने के बाद हुई, जब लोग अपने घरों को लौटने लगे। सत्संग के सेवादारों ने भी श्रद्धालुओं को रोकने की कोशिश की। इससे भगदड़ की स्थिति और भी गंभीर हो गई
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