रिटायर्ड जज को सुविधाएं देने के आदेश की अवहेलना पर हाईकोर्ट ने जारी किया वारंट: सचिव और विशेष सचिव की न्यायिक हिरासत पर उच्चतम न्यायलय रोक!
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- उत्तर प्रदेश
- Updated: 21 April, 2023 02:11
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार को मुख्य सचिव (वित्त) एसएमए रिजवी और विशेष सचिव (वित्त) सरयू प्रसाद मिश्रा को सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को सुविधाएं प्रदान करने के आदेश की अवहेलना करने पर न्यायिक हिरासत में लेने का आदेश दिया। दोनों को अवमानना के आरोप में गुरुवार सुबह 11 बजे कोर्ट में पेश होने को कहा गया। यह आदेश जस्टिस सुनीत कुमार और जस्टिस राजेंद्र प्रसाद की खंडपीठ ने रिटायर्ड जज एसोसिएशन की याचिका पर दिया है.
इस आदेश के खिलाफ गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई। SC ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। यूपी सरकार को स्टे दे दिया था।
अपर महाधिवक्ता ने जमानत पर रिहा करने का अनुरोध किया
हाईकोर्ट की डबल बेंच ने पूछा था कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना के आरोप तय किए जाएं। आदेश के बाद अपर महाधिवक्ता ने अधिकारियों को जमानत पर रिहा करने का अनुरोध किया। कोर्ट ने रिटायर्ड जज एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि दोनों अधिकारियों ने झूठा हलफनामा दाखिल कर गुमराह किया है. अधिकारी बिना किसी वाजिब कारण के आदेश का पालन नहीं करने पर अड़े हैं, जो अवमानना के बराबर है।
अधिकारियों ने कोर्ट से अपने पिछले आदेश को वापस लेने की अर्जी दी है। यह स्पष्ट नहीं है कि आदेश के किस भाग को वापस लिया जाना है। कोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि 2018 के शासनादेश में संशोधन पर कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने अनुच्छेद 229 का मुद्दा उठाया. जो याचिका में नहीं है. साथ ही कहा कि मुख्य सचिव ने 13 अप्रैल को बैठक की थी. विधि विभाग ने 6 अप्रैल 23 को अनुच्छेद 229 में संशोधन का प्रस्ताव भेजा था, जिसे मंजूरी नहीं मिली है. यह कोर्ट की अवमानना है।
मुख्य सचिव सहित अधिकारी हाईकोर्ट में पेश नहीं हुए
हाईकोर्ट ने पूर्व में भी निर्देश दिया था कि सेवानिवृत्त जजों के घरेलू नौकर समेत अन्य सुविधाएं बढ़ाने के मामले में मुख्य न्यायाधीश के प्रस्तावित नियम को तत्काल लागू किया जाए। इस प्रस्ताव पर विभाग ने एक सप्ताह में स्वीकृति आदेश का पालन नहीं किया। बुधवार को प्रमुख सचिव वित्त सहित दोनों अधिकारी हाजिर नहीं हुए. उनकी जगह एलपी मिश्रा ने पलटवार किया। इस पर तनाव बढ़ गया। अदालत ने वित्त विभाग के तीनों आला अधिकारियों को अपराह्न तीन बजे न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया.
सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई। 4 अप्रैल को राज्य सरकार को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा अनुमोदित नियमों को अधिसूचित करने का आदेश दिया गया था। राज्य सरकार ने इस नियम को अधिसूचित नहीं किया है।
वित्त विभाग इस नियम को अधिसूचित करने के पक्ष में नहीं है। विभागीय जानकारों का कहना है कि हाईकोर्ट द्वारा भेजा गया यह नियम मुख्य न्यायाधीश के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इसके पीछे कारण यह है कि इसका विषय सेवानिवृत्त न्यायाधीशों से जुड़ा है। साथ ही यह मामला संविधान के अनुच्छेद-229 के दायरे में नहीं आता है। हाईकोर्ट द्वारा 4 अप्रैल को पारित आदेश के संबंध में सरकार ने कोर्ट के समक्ष रिकॉल अर्जी दी थी, जिसमें उक्त आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया था. कोर्ट ने इसे अपने आदेश का उल्लंघन मानते हुए दोनों अधिकारियों को न्यायिक हिरासत में लेने का आदेश दिया था.
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