अंतिम संस्कार के लिए नहीं थे पैसे तो बांस से लटकाया शव, ऐसा मंजर देख दुखी हुआ रास्ते में चलने वालों का दिल!
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- उत्तर प्रदेश
- Updated: 15 October, 2023 04:55
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उच्च न्यायालय अधिवक्ता हिमांशु शेखर त्रिपाठी और अधिवक्ता सर्वज्ञ पांडेय
सरकार की सारी कल्याणकारी योजनाएँ गरीब नखरू के लिए बेकार साबित हुईं
जब उनकी पत्नी बीमार पड़ी तो आर्थिक तंगी के कारण उनका इलाज नहीं हो सका। जब उनकी पत्नी की मृत्यु हुई तो उनके पास उनकी अंत्येष्टि के लिए पैसे भी नहीं थे।आर्थिक तंगी के कारण पति को पत्नी के शव को बांस में लटकाकर दाह संस्कार के लिए ले जाने को मजबूर देख राहगीरों का दिल पसीज गया। यह हृदय विदारक दृश्य देखकर सड़क पर भीड़ जमा हो गई। जैसे ही पता चला कि परिवार के पास अंतिम संस्कार के लिए भी पैसे नहीं हैं तो लोगों का दिल रो पड़ा ।
फिर क्या हुआ, लोगों ने यह नहीं सोचा कि सरकारी एंबुलेंस क्यों नहीं मिल रही, गरीबों के लिए सरकारी योजनाएं या आर्थिक सहायता कहां है, देखते ही देखते लोगों की जेब से नोट निकलने लगे। पैसे इकट्ठा होने के बाद शव को ई-रिक्शा पर रखकर दारागंज श्मशान घाट भेजा गया।
वाराणसी के कपसेटीथाना के बनकट गांव निवासी नखड़ू अपने परिवार के साथ झूंसी के नीबी गांव में पत्तल बनाकर जीविकोपार्जन करते हैं। उनकी पत्नी अनीता (26) कई दिनों से बीमार थीं। शुक्रवार को वह पत्नी को झूंसी के बंधवा ताहिरपुर गांव में एक ओझा के पास ले गया, जहां अनीता की मौत हो गई।
अंतिम संस्कार की कौन कहे, नखड़ू के पास अर्थी तक के लिए पैसे नहीं थे. उनके सास-ससुर और कुछ अन्य रिश्तेदार दारागंज पुल के नीचे रहते हैं। बेटी की मौत की खबर मिलते ही नखरू के ससुर मैनेजर प्रसाद भी रोते-बिलखते वहां पहुंच गये.दोपहर में शव को दाह संस्कार के लिए ले जाने की तैयारी की गई। अर्थी का इंतजाम न हो पाने के कारण नखरू और मैनेजर शव को बांस में लटकाकर जाने लगे।
झूंसी में न्यायनगर के पास जब लोगों की नजर पड़ी तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। सूरदास निवासी सुभाष यादव ने झूंसी थाने के इंस्पेक्टर नवीन कुमार सिंह को सूचना दी। मौके पर पहुंचे इंस्पेक्टरों ने लोगों से मदद की अपील की. तुरंत पांच हजार रुपये एकत्र हो गये. शव को ई-रिक्शा पर रखकर अंतिम संस्कार के लिए दारागंज घाट भेजा गया।
अधिकारियों की उदासीनता के कारण आयुष्मान कार्ड बनाने में लापरवाही
जिले में आयुष्मान कार्ड बनाने में बेहद लापरवाही बरती जा रही है। अधिकारियों की उदासीनता के कारण पात्रों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। नखड़ू जैसे परिवार इस योजना के पात्र हैं लेकिन उनका आयुष्मान कार्ड नहीं बना है.
स्थिति यह है कि जिले में करीब 18 लाख आयुष्मान कार्ड बनाने का लक्ष्य है, लेकिन अब तक महज सात लाख आयुष्मान कार्ड ही बन पाये हैं. इतना ही नहीं वे अंत्योदय कार्ड के लिए भी पात्र हैं, लेकिन आपूर्ति विभाग की उदासीनता के कारण पात्र लोग भटक रहे हैं।
डीएम ने कहा पीड़ित परिवार की मदद की जाएगी
जिलाधिकारी डीएम नवनीत सिंह चहल ने बताया कि नगर निगम और एसडीएम फूलपुर को मौके पर भेजा गया है। पूरे मामले की जांच के निर्देश दिये गये हैं. पीड़ित परिवार को आवास, शौचालय, बिजली कनेक्शन, आयुष्मान कार्ड, अंत्योदय कार्ड का लाभ दिया जायेगा. आवास के लिए जमीन का पट्टा भी दिया जायेगा.
बाबू तंत्र हावी है
सोशल मीडिया पर भी इस मामले की खूब चर्चा हो रही है. इसे देखते हुए उच्च न्यायालय अधिवक्ता हिमांशु शेखर त्रिपाठी और अधिवक्ता सर्वज्ञ पांडेय ने उठाये सवाल कहा सरकर की योजनाएं जनता तक पूरी तरह से नहीं पहुँच पा रही क्योकि बाबू तंत्र हावी है अधिवक्ता सर्वज्ञ पांडे ने कहा कि बीजेपी सरकार के योगी राज में भी केवल कागजी कार्यवाही वही कायदे से कर पा रहा जो बाबू तंत्र को विश्वास में ले !
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