भारत को मिला चीन का साथ ! अमेरिका ने मोदी को रोकने के लिए झोंकी ताकत,किसानों को 6 हजार सालाना देने के खिलाफ उतरे ताकतवर देश....
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- अन्तर्राष्ट्रीय समाचार
- Updated: 17 June, 2022 01:04
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वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन यानी WTO की बैठक जेनेवा में हुई। इस सम्मेलन में अमेरिका और यूरोपीय देशों ने भारतीय किसानों को दी जाने वाली एग्रीकल्चरल सब्सिडी का विरोध किया। PM नरेंद्र मोदी किसानों को सालाना जो 6 हजार रुपए देते हैं, यह भी एग्रीकल्चरल सब्सिडी में शामिल है। ऐसे में इसे रोकने के लिए अमेरिका और यूरोप ने पूरी ताकत झोंक दी है। भारत ने भी इस मुद्दे पर ताकतवर देशों के आगे झुकने से इनकार कर दिया है।
WTO में 3 प्रमुख मुद्दों पर हुई बैठक
12 जून से 15 जून 2022 तक जेनेवा में WTO की बैठक हुई। 164 सदस्य देशों वाले WTO के G-33 ग्रुप के 47 देशों के मंत्रियों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। भारत की ओर से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल शामिल हुए। इस साल होने वाली WTO की बैठक में इन 3 अहम मुद्दों पर प्रस्ताव लाने की तैयारी की गई…
1. कृषि सब्सिडी को खत्म करने के लिए।
2. मछली पकड़ने पर अंतरराष्ट्रीय कानून बनाने के लिए।
3. कोविड वैक्सीन पेटेंट पर नए नियम लाने के लिए।
अमेरिका, यूरोप और दूसरे ताकतवर देश इन तीनों ही मुद्दों पर लाए जाने वाले प्रस्ताव के समर्थन में थे, जबकि भारत ने इन तीनों ही प्रस्ताव पर ताकतवर देशों का जमकर विरोध किया। भारत ने ताकतवर देशों के दबाव के बावजूद एग्रीकल्चरल सब्सिडी को खत्म करने से इनकार कर दिया है। अब इस मामले में भारत को WTO के 80 देशों का साथ मिला है।
अमेरिका के अनाज की बिक्री घटी, इसलिए भारत का विरोध
एग्रीकल्चरल सब्सिडी: अमेरिका और यूरोप चाहते हैं कि भारत अपने यहां किसानों को दी जाने वाली हर तरह की एग्रीकल्चरल सब्सिडी को खत्म करे।
इसमें ये सारे एग्रीकल्चरल सब्सिडी में शामिल हैं…
- PM किसान सम्मान निधि के तहत दिए जाने वाले सालाना 6 हजार रुपए
- यूरिया, खाद और बिजली पर दी जाने वाली सब्सिडी
- अनाज पर MSP के रूप में दी जाने वाली सब्सिडी
अमेरिका जैसे ताकतवर देशों का मानना है कि सब्सिडी की वजह से भारतीय किसान चावल और गेहूं का भरपूर उत्पादन करते हैं। इसकी वजह से भारत का अनाज दुनिया भर के बाजार में कम कीमत में मिल जाता है।
अमेरिका और यूरोपीय देशों के अनाज की कीमत ज्यादा होने की वजह से विकासशील देशों में इसकी बिक्री कम होती है। यही वजह है कि दुनिया के अनाज बाजार में दबदबा कायम करने के लिए ताकतवर देश भारत को एग्रीकल्चरल सब्सिडी देने से रोकना चाहते हैं। भारत इसे मानने के लिए तैयार नहीं है।
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