अब स्थानीय लोग बोले- भीड़ बाहर से आई थी.....!
10 जून 2022, प्रयागराज के अटाला चौराहे पर 1 बजे जुमे की नमाज अदा करने लोग मस्जिद पहुंचे। नमाज खत्म हुई तो करीब 700 लोग नूपुर शर्मा के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। हंगामे का अंदाजा था। इसलिए डीएम, ADG, SSP मौके पर मौजूद थे। भीड़ नारेबाजी करते हुए उग्र हुई और पत्थर फेंकने लगी। पत्थर फेंकने वालों में 15-16 साल के लड़के थे।
दो घंटे तक पत्थर फेंके गए। गाड़ियों में आग लगाई। PAC की भी गाड़ी फूंक दी। जैसे-तैसे स्थिति पर कंट्रोल किया गया। दो दिन बाद इलाके की स्थिति बदल चुकी है। घटनास्थल पर क्या स्थिति है हम वहीं से बताते हैं…
भीड़ पर मानों खून सवार था, बेटी ने रोते हुए कहा- पापा घर चलते हैं
नाम: अशरफ, काम: रिक्शा चालक, घर: अटाला मोहल्ला... अपने ई-रिक्शा के पास खड़े अशरफ ने भास्कर टीम को अपना परिचय देना शुरू ही किया कि तभी घर से उसकी 10 साल की बेटी भागती हुई आई। रोते हुए अपने पापा से घर में जाने के लिए कहने लगी। बच्ची के चेहरे पर पापा के लिए चिंता और डर साफ झलक रहा था। अशरफ ने अपनी बेटी को समझाया कि ये मीडिया से हैं और हमसे बात करने के लिए आए हैं। पिता के समझाने पर बेटी मान गई और तब तक पिता का हाथ पकड़ कर खड़ी रही जब तक हमारी बातचीत खत्म नहीं हो गई।
अशरफ ने हिंसा वाले दिन की कहानी बताना शुरू किया, “साहब उस दिन नमाज अदा करने के बाद मैं सीधे अपने घर आ गया था। दोपहर के करीब 2:30 बज रहे थे मैं हल्की नींद में सो रहा था। तभी मैंने गली में चिल्लाने और नारे लगाने की आवाज सुनी, मैं भागकर बाहर गया तो देखा कि यहां बहुत भीड़ जमा हो गयी थी, दूसरे गलियों से होते हुए भीड़ के आने का सिलसिला जारी था। जमा हुई भीड़ ने जब उन्मादी नारे लगाने शुरू किये तब मैंने पड़ोस के लोगों के साथ मिलकर इसका विरोध किया कि वो ऐसा ना करें, लेकिन भीड़ में शामिल उपद्रवी लड़के हमको मारने पर उतारू हो गए और धमकी दी कि दोबारा बोला तो ठीक नहीं होगा।”
लोगों में एक अजीब-सा डर दिखा
अटाला मोहल्ले में कई संकरी और पतली गलियां हैं। जो शहर के चौक, घंटाघर और सिविल लाइन्स इलाके से सीधी जुड़ती हैं। मोहल्ले के रहने वाले जैनुलुद्दीन उर्फ गुड्डू ने बताया कि नमाज के बाद गलियों से होते हुए दूसरे मोहल्ले के लोग इकट्ठा होना शुरू हो गए। देखते-देखते भीड़ हजारों की संख्या में हो गई। भीड़ में नौजवान लड़कों की संख्या ज्यादा थी। उनको यहां के लोग पहचान भी नहीं पा रहे थे। इकट्ठा होने के बाद उन्होंने भीड़ को उत्तेजित करके पुलिस और प्रशासन पर पथराव करना शुरू कर दिया। फिर पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू किया, उसके बाद 3 घंटे तक पत्थरबाजी और आगजनी होती रही। हिंसा में शामिल 95% भीड़ बाहर से आई थी। इसका कोई लीडर नहीं था।
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