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Saturday 12 Apr 2025 6:27 AM

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कहानी बागी गैंग' के बम बनाने की हालैंड हॉल छात्रावास से, चंदा लगाकर 500 रुपए में बनाते थे बम, चल रहा था कारखाना...

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हॉलैंड हॉल में बम बनाने वाले 'बागी गैंग' से कई जानकारी मिली है। पुलिस ने गैंग के 5 सदस्यों को पकड़ लिया है। जबकि 3 की अभी तलाश जारी है। पूछताछ में पता चला कि हॉलैंड हॉल छात्रावास में ही चंदा लगाकर 500 रुपए में बम बनाते थे। इसको बाजार में बेचते थे। इससे जो मुनाफा होता है। उसे आपस में बांट लेते थे।

यह सब कुछ कैसे होता था आइए जानते हैं पूरी कहानी...

हॉलेंड हॉल में अवैध रूप से रह रहे थे 5 सदस्य
प्रयागराज के SSP अजय कुमार ने बताया कि 20 जून की रात हरीश ढाबे पर बमबाजी हुई थी। वजह थी कि ढाबे वाले ने शराब पीने से मना कर दिया था। इससे बात से गैंग के लीडर विवेक को गुस्सा आ गया। पुलिस को जांच में पता चला कि इसके पीछे बलिया के रहने वाले विवेक यादव उर्फ विवेक बागी गैंग का हाथ है।

जो बलिया का रहने वाला है। उसकी गैंग में टोटल 8 लोग हैं। जिनमें से 5 हॉलैंड के हॉल में रहकर बम बनाने का काम करते थे। जो दूसरे राज्यों के बाजारों में सप्लाई किया जाता था।

मुनाफा आपस में बराबर बंटता था
विवेक ने पुलिस को बताया कि हॉलैंड हॉल छात्रावास में रहकर हमने चंदे से बम बनाना शुरू किया था। 100-100 रुपए हम 5 दोस्त मिलकर चंदा लगा लेते थे। इसके बाद बम बनाकर बाजार में बेच देते थे। जो मुनाफा मिलता था उसे आपस में बांट लेते थे।

बम की सप्लाई प्रयागराज के साथ ही साथ आसपास के जिलों, बिहार, राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी होती थी। छात्रावास के कमरा नंबर- 4, 30 और 70 में अवैध रूप से रहते थे। यहीं से रहकर अवैध रूप से बम बनाने का काम करते थे। मजे की बात है कि ये सभी छात्रावास में अवैध रूप से रह रहे थे। विश्वविद्यालय प्रशासन को भनक तक नहीं लगी।

इस गैंग के सदस्य मऊ, गाजीपुर, बलिया, अमेठी, प्रतापगढ़, जौनपुर और प्रयागराज के रहने वाले हैं। यह एक अंतरजनपदीय गैंग है। जिनके सदस्यों पर हत्या के प्रयास, लूट, डकैती, आगज़नी, बमबाजी और धोखाधड़ी से संबंधित कई मुकदमे दर्ज हैं। इस गैंग के पास एक स्विफ्ट कार बरामद हुई है। इसके अलावा पांच जिंदा बम, तमंचा और कारतूस बरामद हुआ है।

ये पकड़े गए
विवेक यादव उर्फ बागी : विवेक ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 2009-10 एडमीशन लिया था। उसने कई आपराधिक घटनाएं की तो पुलिस पीछे पड़ गई। वह यहां से भागकर कानपुर गया और 2013 में वहीं से बीए किया। इन दिनों वह हालैंड हाल के अलावा झूंसी के कटका में रहता है। छह आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं।

मित गिरि निवासी मोहम्मदपुर जंगलवन, गोरखपुर : अमित के परिवार वाले भी कृषि कार्य करते हैं। वह पहले हालैंड हास्टल में रहता था। बाद में सोहबतियाबाग में रहने लगा। 2015 में उसने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए और 2020 में राज्य विश्वविअमित गिर, हिमांशु सिंह, संदीप यादव, भानु प्रताप यादव, विवेक यादव।द्यालय से एमए किया। हास्टल में आज भी अवैध कब्जा है। अमित के खिलाफ तीन मुकदमे चल रहे हैं।

हिमांशु सिंह उर्फ शुभम निवासी ढिढई, पट्टी, प्रतापगढ़ : परिवार वाले कृषि कार्य करते हैं। वर्तमान में अक्षय लॉज कटरा में रहता है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बीए प्रथम वर्ष का छात्र। हिमांशु के खिलाफ प्रतापगढ़ और प्रयागराज में सात मुकदमे चल रहे हैं।

संदीप यादव निवासी उकरांव बहरियाबाद, गाजीपुर : इसके परिजन भी कृषि कार्य करते हैं। 2013 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीकाम और 2018 में पूर्वांचल विश्वविद्यालय से एमए किया। दो आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं।

भानु प्रताप यादव निवासी मड़ौली, संग्रामपुर, अमेठी : भानू इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एलएलबी प्रथम वर्ष का छात्र है। वह केपीयूसी हास्टल का अंतवासी है। दो आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं।

फरार आरोपी
अभिषेक शुक्ला, सोनू, अभिषेक यादव

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