नार्को-टेस्ट से अतीक के हत्यारोंकी सच्चाई : SIT को चाहिए 10 सवालों के जवाब; न्यायिक आयोग ने 19 स्वास्थ्यकर्मियों के बयान दर्ज किए!
माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के तीनों आरोपियों का एसआईटी लाई डिटेक्टर और नार्को टेस्ट कराएगी। कई सवालों के जवाब नहीं मिलने पर एसआईटी ने लाई डिटेक्टर और नार्को टेस्ट कराने का फैसला किया है। वहीं, न्यायिक आयोग फिर से तीनों शूटरों के बयान दर्ज करेगा। इसके अलावा फिर से चश्मदीदों से सवाल-जवाब करेंगे।
आज न्यायिक जांच आयोग ने 19 स्वास्थ्यकर्मियों के बयान दर्ज किए हैं. सभी ने हलफनामे पर बयान दिए हैं। गुरुवार को मीडियाकर्मियों के बयान दर्ज किए जाएंगे। उन्हें नोटिस भेजकर बुलाया गया है।
लाई डिटेक्टर टेस्ट के बाद न सिर्फ हत्या का सच सामने आएगा, बल्कि साजिश का भी पर्दाफाश हो सकता है. अतीक और अशरफ की 15 अप्रैल की रात कॉल्विन अस्पताल में पुलिस हिरासत में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने मौके से गोली मारने वाले लवलेश तिवारी, सन्नी सिंह और अरुण मौर्य को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, पूछताछ के दौरान शूटरों ने कबूल किया कि नाम कमाने के लिए उन्होंने अतीक-अशरफ की हत्या की थी।
बहरहाल... अब पढ़िए वो 10 सवाल, जिनके लिए एसआईटी लाई डिटेक्टर और नार्को टेस्ट करा रही है
पहला सवाल- कैसे रची गई साजिश?
दूसरा सवाल- इसमें कितने लोग शामिल थे?
तीसरा सवाल- जिस वक्त हत्या हुई उस वक्त आरोपी के बैकअप में कौन था?
चौथा सवाल- क्या ये दोनों हत्याएं सुपारी से की गई थीं?
पांचवां सवाल- क्या इस हत्याकांड के पीछे किसी सफेदपोश का हाथ नहीं था?
छठा सवाल- वो कौन था, जिसे अतीक जेल की वैन से उतरते वक्त कुछ देर देखता रहा और फिर सिर हिलाया?
सातवां सवाल- कॉल्विन अस्पताल के गेट के बाहर जेल वैन को क्यों रोका गया? सीधे अंदर क्यों नहीं जाते?
आठवां सवाल- अशरफ मुस्लिम गुड्डू के बारे में क्या राज खोलना चाहता था?
नौवां सवाल- हमलावरों को आईडी कार्ड, माइक और कैमरा किसने मुहैया कराया?
दसवां सवाल- तीनों हत्यारों को स्थानीय स्तर पर कौन मदद कर रहा था?
न्यायिक आयोग मंगलवार से प्रयागराज में डेरा डाले हुए है
सर्किट हाउस की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। मीडिया कर्मियों को भी अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है।
सर्किट हाउस की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। मीडिया कर्मियों को भी अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है।
मामले की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग मंगलवार से प्रयागराज में डेरा डाले हुए है. आज न्यायिक आयोग ने हत्या के तीनों आरोपितों के बयान भी दर्ज किए। इसके साथ ही प्रत्यक्षदर्शियों के दर्ज बयानों से कुछ ऐसे सबूत मिले हैं, जो हत्याकांड से जुड़े राज खोलने में काफी अहम हो सकते हैं. इसलिए न्यायिक आयोग ने चश्मदीदों को दोबारा तलब किया। इनमें 21 पुलिसकर्मी, 19 स्वास्थ्यकर्मी और 6 मीडियाकर्मी शामिल हैं। आज न्यायिक जांच आयोग ने 19 स्वास्थ्यकर्मियों के बयान दर्ज किए हैं. सभी ने हलफनामे पर बयान दिए हैं। गुरुवार को मीडियाकर्मियों के बयान दर्ज किए जाएंगे। उन्हें नोटिस भेजकर बुलाया गया है। उनसे शपथ पत्र भी लिया जाएगा।
वहीं, मंगलवार को न्यायिक आयोग के सदस्यों ने भी एसआईटी के साथ मैराथन बैठक की. इसमें साक्ष्यों और घटनाक्रम को लेकर तमाम बिंदुओं पर मंथन किया गया है। न्यायिक आयोग के अध्यक्ष पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले हैं। झारखंड उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह, न्यायमूर्ति अरविंद कुमार त्रिपाठी, आईपीएस अधिकारी मुकेश कुमार सिंह और पूर्व जिला न्यायाधीश बृजेश कुमार सोनी सदस्य हैं। न्यायिक आयोग के सदस्य सर्किट हाउस में रुके हैं। इसे देखते हुए वहां सुरक्षा बढ़ा दी गई है। मीडियाकर्मियों को भी मेन गेट के अंदर एंट्री नहीं दी जा रही है.
आयोग की टीम पांच दिनों तक प्रयागराज में रहकर सभी से अतीक-अशरफ हत्याकांड के विभिन्न पहलुओं पर जांच और पूछताछ करेगी. इससे पहले 20 अप्रैल और 6 मई को भी न्यायिक जांच आयोग की टीम प्रयागराज पहुंची थी.
कौन हैं अतीक-अशरफ को मारने वाले शूटर?
अतीक और अशरफ को गोली मारने वाला शूटर लवलेश तिवारी बांदा का रहने वाला है. जबकि अरुण कासगंज व सन्नी हमीरपुर का रहने वाला है। पुलिस का कहना है कि तीनों आरोपी अतीक और अशरफ की हत्या करने के इरादे से प्रयागराज पहुंचे थे. तीनों अतीक और अशरफ की हत्या के सिलसिले में मिले थे।
पुलिस सूत्रों के अनुसार शूटरों से पूछताछ में खुलासा हुआ कि सन्नी सिंह खुद अपराधी व माफिया सुंदर भाटी गैंग के संपर्क में रहा है. हमीरपुर जेल में रहने के दौरान सन्नी सिंह सुंदर भाटी गिरोह के संपर्क में आया। सनी सिंह ने ही लवलेश तिवारी और अरुण की हत्या में शामिल किया था।
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